Sucess Story: हरियाणा सरकार की बेहतरीन प्रोत्साहन नीति ने राज्य के किसानों को परंपरागत खेती के अलावा नये और लाभकारी उपायों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण कैथल जिले के किसान बलजीत सिंह हैं, जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक और बागवानी खेती की ओर कदम बढ़ाए। आज वह अपनी नर्सरी से हर महीने 30-40 हजार रुपये कमा रहे हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।
किसान बलजीत की नर्सरी
किसान बलजीत के पास कुल 2 एकड़ भूमि है, जिनमें से एक एकड़ में वह नर्सरी का काम करते हैं जबकि दूसरे एकड़ में गेहूं और धान की खेती करते हैं। नर्सरी का काम उन्होंने आधे एकड़ से शुरू किया था, लेकिन बढ़ते मुनाफे और कम लागत को देखते हुए उन्होंने धीरे-धीरे पूरी भूमि पर नर्सरी स्थापित करने का फैसला लिया। आज उनकी नर्सरी “मां बनभोरी” जींद रोड पर स्थित है, जहां वह विभिन्न प्रकार की पौधों और बीजों की तैयारी करते हैं।
बलजीत की नर्सरी में उगाई जाने वाली सब्जियाँ
किसान बलजीत ने नर्सरी में कई प्रकार की सब्जियों की पौध तैयार की है, जिनमें खासतौर पर काले टमाटर, बेल वाले टमाटर, सफेद बैंगन, ब्रोकली, सींग और गांठ वाली गोभी शामिल हैं। बलजीत ने इन सब्जियों की रिसर्च भी की है, जिससे उन्हें और उनके आसपास के किसानों को बेहतर उत्पाद प्राप्त हो रहे हैं।
काला टमाटर सामान्य टमाटर की तरह दिखने वाला न केवल स्वाद में खास है, बल्कि इसका रंग भी अलग है। बेल वाली टमाटर की खेती को बलजीत ने घिया और तोरी की तरह ऊपर चढ़ाकर लंबी अवधि तक टमाटर उत्पादन की प्रक्रिया विकसित की है। बैंगन की नई किस्में जो अब किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही हैं, बलजीत ने इनकी भी पौध तैयार की है।
बलजीत का मानना है कि रिसर्च और प्रयोग के माध्यम से खेती को और अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने बताया कि उनके नर्सरी में एक पौधे से दो सब्जियाँ प्राप्त हो रही हैं—एक तरफ बैंगन और दूसरी तरफ टमाटर। बैंगन के पेड़ की लंबाई 8 फीट तक पहुंच चुकी है, जिससे आने वाले वर्षों तक उत्पादन लिया जा सकेगा।
ऑर्गेनिक खेती और पर्यावरण का ध्यान
बलजीत नर्सरी में कभी भी कीटनाशक या रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल नहीं करते। उनकी नर्सरी में पौधों की देखभाल के लिए देशी केंचुए की खाद का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि उत्पादन भी बेहतर होता है। इसके अलावा, वह नर्सरी में सिंचाई के लिए बारिश के पानी का उपयोग करते हैं। इसके लिए उन्होंने 30×20 फीट का 14 फीट गहरा तालाब तैयार किया है, जिसमें वर्षा का पानी एकत्र किया जाता है।
नर्सरी के व्यवसाय से मुनाफा
किसान बलजीत अपनी नर्सरी से महीने के 30,000 से 40,000 रुपये कमा रहे हैं। उनका मानना है कि नर्सरी व्यवसाय से किसान आसानी से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, खासकर जब उन्हें रिसर्च और ऑर्गेनिक खेती में महारत हासिल हो। बलजीत की नर्सरी अब एक उदाहरण बन चुकी है कि कैसे एक किसान अपनी मेहनत, रिसर्च और नवीनतम खेती के तरीकों से सफलता हासिल कर सकता है।