Post Office: हर किसी का सपना होता है कि उनका निवेश सुरक्षित रहे और उस पर अच्छा रिटर्न भी मिले। खासकर बुजुर्गों के लिए ऐसा निवेश जो उनकी सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हो, एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है। ऐसे ही एक बेहतरीन निवेश योजना का नाम है सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)। यह योजना 60 साल और उससे अधिक उम्र के भारतीय नागरिकों के लिए बनाई गई है, जो अपने निवेश को सुरक्षित रखना चाहते हैं और अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं।
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) क्या है?
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) को 2004 में शुरू किया गया था, ताकि बुजुर्गों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद एक सुरक्षित वित्तीय सहारा मिल सके। इस योजना में निवेश करने वाले व्यक्तियों को एक निश्चित ब्याज दर मिलती है, जो समय-समय पर तय की जाती है। इस समय, SCSS पर ब्याज दर 8.2% है, जो इसे स्मॉल सेविंग स्कीम्स में एक उच्च रिटर्न देने वाली योजना बनाती है।
SCSS के लाभ
यह योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित है, जिससे इसमें निवेश करना बहुत सुरक्षित है। 8.2% की ब्याज दर से निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है, जो इसे लोकप्रिय बनाता है। SCSS में निवेश करने पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट भी मिलती है। आप ₹1,50,000 तक निवेश पर टैक्स बचत कर सकते हैं। इसमें निवेश करने पर ब्याज की दर निश्चित रहती है और इसका रेट बढ़ने या घटने की चिंता नहीं होती। आप इस योजना में 5 साल तक निवेश कर सकते हैं और एक बार के लिए इसे 3 साल तक बढ़ा भी सकते हैं।
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) के लिए पात्रता
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम का लाभ 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के भारतीय नागरिक उठा सकते हैं। इसके अलावा, जो लोग 50-55 साल की उम्र में सरकारी नौकरी से रिटायर होते हैं, वे भी इस योजना में निवेश कर सकते हैं। रिटायरमेंट के समय इस योजना में निवेश करना जरूरी होता है।
SCSS का ब्याज और टैक्स
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम पर जो ब्याज मिलता है, वह पूरी तरह से टैक्स योग्य होता है। अगर एक वित्तीय वर्ष के दौरान ब्याज ₹50,000 से अधिक होता है, तो TDS (Tax Deducted at Source) काटा जाएगा। हालांकि, अगर आपकी कुल आय ₹2.5 लाख से कम है, तो आप इसके लिए टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं।
SCSS के फायदे
यह योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित है, जिससे इसमें निवेश बहुत सुरक्षित होता है। उच्च ब्याज दर के कारण निवेशक अच्छा रिटर्न प्राप्त करते हैं। SCSS में टैक्स बचत का भी अवसर मिलता है।
नुकसान
SCSS का ब्याज पूरी तरह से टैक्स योग्य होता है, जो किसी के लिए एक नकारात्मक पहलू हो सकता है। अगर ब्याज ₹50,000 से ज्यादा हो, तो TDS काटा जाता है, जो कुछ लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।