Pension Scheme 2024: राज्य सरकार ने इस सबन्ध मे आदेश जारी करने के साथ-साथ हरियाणा सरकार ने अयोग्य, मृत और गैर-मौजूद लोगों को पेंशन के वितरण के संबंध में पांच विभागों को नोटिस जारी किया है। सरकार ने यह भी आदेश दिया है जो अधिकारियों और कर्मचारियों चयन समिति के सदस्य हैं और अयोग्यता के पात्र हैं।
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उनके खिलाफ कारवाई की जायेगी। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की निदेशक आशिमा बरार ने उच्च न्यायालय में हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में अदालत को बताया गया है कि उसने 13,477 अयोग्य, 17,094 गैर-मौजूद और 50,312 मृतक लाभार्थियों को पेंशन वितरित करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। ऐसे अयोग्य व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कारवायी की जानी चाहिए।
कर्मचारियों को दिए आदेश
राज्य सरकार ने पंचायत, शहरी निकाय विभाग, विकास विभाग, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण विभाग, महिला और बाल कल्याण विभाग और राजस्व विभाग को उन कर्मचारियों की पहचान करने का आदेश दिया है जो समिति के सदस्य थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक उच्च न्यायालय को बताया गया है कि 13,477 अपात्र व्यक्तियों में से 2189 व्यक्तियों को बाद में पात्र पाया गया था और 1254 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और 554 व्यक्तियों लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का पता नहीं चल पाया है। अब तक अयोग्य से 6.55 करोड़ रुपये की वसूली की गई है और 2022-23 में 1.97 करोड़ रुपये की वसूली की गई है।
आशिमा बरार ने कहा कि उन्होंने पिछले महीने इस विभाग के कार्यभार को संभालते के साथ-साथ इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी थी। वह अदालत का पूरा सम्मान करने के साथ अदालत के हर आदेश का पालन करेंगी। सरकार ने आशिमा बरार के इस जवाब को रिकॉर्ड में रखते हुए उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई मई तक के लिए स्थगित कर दी है।
पेंशन के वितरण में बड़ा घोटाला
2017 में दर्ज की गई शिकायत के अनुसार याचिका दायर करते हुए RTI कार्यकर्ता राकेश बैंस ने अधिवक्ता प्रदीप रापाडिया के माध्यम से 2017 में हरियाणा में पेंशन वितरण घोटाले के बारे में उच्च न्यायालय को बताया गया था। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, पेंशन वितरण में बहुत बड़ा घोटाला किया जा रहा था। जानकारी के लिए बता दे की समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने मृत और अयोग्य व्यक्तियों मे भी पेंशन वितरित की थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें राज्य सतर्कता से कोई उम्मीद नहीं है और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच की मांग की। हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश भी दिए हैं। सीबीआई ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट दायर की जिसमें कहा गया कि पूरे हरियाणा में गलती करने वाले समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।