होली के बाद किसानों के खिले चेहरे, सरसों के भाव में जोरदार उछाल, जानें आज के मंडी रेट
खेती-किसानी में सरसों का विशेष स्थान है और यह तिलहन फसलों में सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल मानी जाती है। इस साल सरसों की नई फसल बाजार में आ चुकी है लेकिन इसमें अधिक नमी होने के कारण किसानों और व्यापारियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में मंडियों में सरसों के भाव (Prices) में बड़ा उछाल देखने को मिला है जिससे किसानों के चेहरे खिल उठे हैं।
हालांकि नमी की समस्या के कारण व्यापारियों को इसे खरीदने और भंडारण (Storage) में मुश्किलें आ रही हैं। इस कारण नई सरसों की नीलामी में कुछ रुकावटें भी आ रही हैं लेकिन मांग बनी रहने के चलते कीमतों में तेजी बनी हुई है।
सरसों की बढ़ती कीमतों का मुख्य कारण इसका सीमित स्टॉक और किसानों द्वारा पुरानी सरसों की कम उपलब्धता है। बाजार में अभी पुरानी सरसों की मांग अधिक है क्योंकि उसमें नमी की समस्या नहीं होती।
वहीं नई सरसों में अधिक नमी होने के कारण व्यापारी इसे तत्काल खरीदने में हिचकिचा रहे हैं। कुछ व्यापारी नई सरसों को खरीदकर सुखाने के बाद ही बाजार में उतार रहे हैं जिससे उनके लागत (Cost) में बढ़ोतरी हो रही है।
मंडियों में तेजी से बढ़ रही सरसों की आवक
कृषि उपज मंडियों में सरसों की आवक तेजी से बढ़ रही है जिससे बाजार में हलचल बढ़ गई है। हालांकि नई फसल में नमी अधिक होने के कारण कई जगहों पर सरसों की बोली अपेक्षाकृत कम लग रही है।
किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें उनकी उपज के अच्छे दाम मिलेंगे लेकिन नमी के कारण कई जगहों पर व्यापारी नई सरसों को खरीदने से बच रहे हैं। इसके बावजूद बाजार में सरसों की मांग बनी रहने के कारण इसके दामों में वृद्धि दर्ज की जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मौसम शुष्क बना रहा और नई सरसों की नमी कम हुई तो इसके भाव और भी ऊंचे जा सकते हैं। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि सरसों की मांग घरेलू और औद्योगिक (Industrial) स्तर पर बनी हुई है जिससे इसकी कीमतों में मजबूती दिखाई दे रही है।
किसानों को हो सकता है अधिक लाभ
सरसों की बढ़ती कीमतों का सबसे अधिक फायदा किसानों को हो सकता है। जिन किसानों ने अपनी फसल को सही तरीके से सुखाकर रखा है उन्हें बाजार में अच्छे दाम मिल रहे हैं। इस साल खाद्य तेल (Edible Oil) उद्योग की ओर से सरसों की भारी मांग है जिससे इसकी कीमतों में और इजाफा देखने को मिल सकता है।
किसानों के अनुसार यदि सरकार की ओर से नमी परीक्षण की उचित व्यवस्था की जाए और सरसों को सही भंडारण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं तो किसानों को उनकी फसल के बेहतर दाम मिल सकते हैं। वर्तमान में कई राज्यों की मंडियों में नमी वाली सरसों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा जिससे किसानों को थोड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
व्यापारियों के सामने भी बड़ी चुनौती
सरसों के व्यापार से जुड़े लोगों के लिए यह सीजन चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। नई सरसों की नमी के कारण इसे लंबे समय तक भंडारण करना मुश्किल हो रहा है। कई व्यापारी इसे पहले सुखाने की प्रक्रिया अपनाने में लगे हुए हैं जिससे उनकी लागत बढ़ रही है। इसके अलावा सरसों के तेल उद्योग (Mustard Oil Industry) से जुड़े लोगों को भी अच्छे और सूखे स्टॉक की जरूरत होती है जिससे उन्हें अपनी उत्पादन क्षमता बनाए रखने में मदद मिले।
कई व्यापारियों का मानना है कि यदि सरसों की नमी नियंत्रण में आ जाए और सप्लाई चेन सही ढंग से काम करे तो इसकी कीमतें और भी बेहतर हो सकती हैं। फिलहाल मंडियों में सरसों की मांग बनी हुई है और आने वाले हफ्तों में इसके दाम और बढ़ सकते हैं।
सरसों की कीमतों में और उछाल की संभावना
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार सरसों की कीमतों में आगे और भी बढ़ोतरी हो सकती है। फिलहाल कई राज्यों में सरसों के भाव (Mustard Price) 6000 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बने हुए हैं जबकि कुछ प्रमुख मंडियों में यह कीमत 6800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। यदि यही ट्रेंड (Trend) जारी रहा तो आने वाले दिनों में सरसों के दाम 7000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकते हैं।
इसके अलावा सरसों के तेल की बढ़ती कीमतें भी एक बड़ा कारण हैं जिससे किसानों को फायदा मिलने की उम्मीद है। उपभोक्ताओं के लिए सरसों का तेल महंगा होता जा रहा है लेकिन किसानों के लिए यह स्थिति अनुकूल साबित हो रही है।