हरियाणावासियों के लिए आई एक और खुशखबरी, सूरजकुंड मेले को लेकर सीएम का बड़ा ऐलान

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हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर (NCR) के लोगों के लिए यह खबर किसी खुशखबरी से कम नहीं है। मशहूर सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले (Surajkund International Crafts Mela) को लेकर हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब यह भव्य मेला वर्ष में दो बार आयोजित किया जाएगा जिससे स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को अधिक मंच (platform) मिलेगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इस महत्त्वपूर्ण घोषणा में कहा कि मेले का आयोजन सिर्फ एक बार तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसे साल में दो बार आयोजित करने की योजना बनाई गई है।

हरियाणा पर्यटन निगम ने तैयार किया बजट

प्रदेश सरकार ने इस आयोजन के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया है ताकि इसका विस्तार और बेहतर रूप में किया जा सके। वैसे हरियाणा पर्यटन निगम (Haryana Tourism Corporation) की ओर से वर्ष 2023 में तीन से 10 नवंबर तक दिवाली मेले का आयोजन किया गया था लेकिन किसी कारणवश 2024 में यह आयोजन नहीं हो सका था। 

अब सरकार ने फैसला किया है कि सूरजकुंड मेला न सिर्फ फरवरी में बल्कि साल के दूसरे हिस्से में भी लगाया जाएगा। इससे न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी बल्कि हरियाणा की पारंपरिक कला और शिल्प को और अधिक पहचान मिलेगी।

38वें सूरजकुंड मेले में रहा खास आकर्षण

इस वर्ष आयोजित 38वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में 42 देशों के 648 हुनरमंद कलाकार पहुंचे थे। हरियाणा पर्यटन निगम द्वारा आयोजित यह मेला 7 से 23 फरवरी तक चला था। इस दौरान दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने भी मेले की टिकट बिक्री अपने मोबाइल एप्लिकेशन (app) और मेट्रो स्टेशनों पर शुरू की थी, जिससे दर्शकों को काफी सुविधा मिली।

फरवरी में आयोजित सूरजकुंड मेला इस बार कई मायनों में खास रहा। आमतौर पर इस मेले में एक राज्य को 'थीम स्टेट' और एक देश को 'भागीदारी देश' बनाया जाता था, लेकिन इस बार पहली बार दो राज्यों - ओडिशा और मध्यप्रदेश को 'थीम स्टेट' बनाया गया था। इतना ही नहीं, सात देशों के संगठन 'बिम्सटेक' (BIMSTEC) को इस बार मेले का आधिकारिक भागीदार बनाया गया था।

बिम्सटेक में भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। इन देशों के कलाकारों ने अपने अनूठे शिल्प और कला का प्रदर्शन कर दर्शकों का दिल जीत लिया।

सूरजकुंड मेले में मिलेगा देसी कलाकारों को मंच

अब जब मेला साल में दो बार आयोजित होगा तो इससे दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के स्थानीय कलाकारों को बड़ा मंच मिलेगा। यहां तक कि छोटे-छोटे हस्तशिल्प कारीगरों, पारंपरिक बुनकरों और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। खादी, जूट, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी, हस्तनिर्मित आभूषण और अन्य स्वदेशी उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित किया जाएगा।

हरियाणा के पर्यटन मंत्री ने कहा कि यह मेला भारतीय संस्कृति, लोककला और कारीगरी को बढ़ावा देने का एक बेहतरीन जरिया है। साथ ही इस फैसले से हजारों छोटे और मझोले कारीगरों को सीधा फायदा मिलेगा जो अपनी कला को बड़े स्तर पर प्रदर्शित कर पाएंगे।