Cheque Bounce: चेक बाउंस होने पर कितने साल की है सजा, जानें पैसे चुकाने के लिए कितना मिलता है समय?

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आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन पेमेंट (Online Payment) ने भले ही लेन-देन की प्रक्रिया को आसान बना दिया हो लेकिन चेक (Cheque) अब भी व्यावसायिक और व्यक्तिगत वित्तीय लेन-देन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई लोग व्यापारिक भुगतान, उधारी राशि या अन्य वित्तीय लेन-देन के लिए चेक का उपयोग करते हैं। हालांकि ज़रा-सी लापरवाही आपको कानूनी पचड़ों में डाल सकती है खासकर जब बात चेक बाउन्स (Cheque Bounce) होने की आती है।

अगर किसी व्यक्ति ने किसी को चेक दिया और वह अस्वीकृत (Dishonored) हो गया, तो इसके गंभीर कानूनी परिणाम हो सकते हैं। भारत में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 (Negotiable Instruments Act 1881) के तहत चेक बाउन्स एक दंडनीय अपराध है।

इसमें न केवल आर्थिक दंड का प्रावधान है बल्कि दो साल तक की सजा भी हो सकती है। ऐसे में अगर आप चेक का उपयोग करते हैं तो आपको इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों और बचाव के तरीकों को समझना बेहद ज़रूरी है।

चेक बाउन्स क्या है और इसके पीछे क्या कारण होते हैं?

जब कोई बैंक किसी चेक को अस्वीकृत कर देता है और उसका भुगतान नहीं करता तो इसे चेक बाउन्स कहा जाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे:

खाते में अपर्याप्त राशि (Insufficient Funds): यह सबसे प्रमुख कारण है। अगर खाते में पर्याप्त राशि नहीं है तो बैंक चेक को अस्वीकृत कर देता है।

गलत हस्ताक्षर (Signature Mismatch): यदि चेक पर हस्ताक्षर बैंक के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते तो वह बाउन्स हो सकता है।

ओवरड्राफ्ट सीमा पार करना (Overdraft Limit Exceeded): अगर अकाउंट होल्डर के पास ओवरड्राफ्ट सुविधा है लेकिन उसने तय सीमा से ज्यादा चेक जारी कर दिया, तो चेक बाउन्स हो सकता है।

अमान्य तिथि (Invalid Date): चेक पर पोस्ट डेटेड (Post-Dated) या स्टेल डेटेड (Stale-Dated) होने के कारण भी चेक बाउन्स हो सकता है।

स्पष्टता की कमी (Clarity Issues): चेक पर राशि या अन्य जानकारी अस्पष्ट होने के कारण भी बैंक इसे अस्वीकार कर सकता है।

चेक बाउन्स पर क्या हो सकती है सजा?

अगर किसी का चेक बाउन्स हो जाता है तो यह एक गंभीर अपराध माना जाता है। भारतीय कानून के अनुसार:

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत चेक बाउन्स एक अपराध है।

दो साल तक की जेल (Imprisonment up to 2 years) या दोगुने धन का आर्थिक दंड (Fine up to Twice the Amount) लगाया जा सकता है।

अगर चेक बाउन्स का मामला धोखाधड़ी या जानबूझकर किया गया साबित होता है तो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 के तहत भी मामला दर्ज हो सकता है।

चेक बाउन्स होने पर कितने दिनों में भरना होगा पैसा?

अगर आपका चेक बाउन्स हो गया है तो चेक प्राप्तकर्ता को निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:

नोटिस भेजना (Legal Notice): चेक बाउन्स होने के बाद 15 दिनों के अंदर चेक जारीकर्ता को कानूनी नोटिस भेजा जाता है।

भुगतान का समय (Time for Payment): चेक जारीकर्ता को 15 दिनों के भीतर चेक की राशि चुकानी होती है।

मुकदमा दर्ज करना (Legal Case Filing): अगर भुगतान नहीं किया जाता तो 30 दिनों के अंदर अदालत में केस दर्ज किया जा सकता है।

अगर चेक जारी करने वाले ने समय पर राशि चुका दी तो मामला समाप्त हो सकता है। लेकिन अगर वह ऐसा करने में असफल रहता है तो मामला अदालत में चला जाता है और आरोपी को सजा हो सकती है।

कैसे करें चेक बाउन्स से बचाव?

अगर आप चेक का उपयोग करते हैं तो निम्नलिखित सावधानियों को अपनाकर चेक बाउन्स से बच सकते हैं:

हमेशा पर्याप्त बैलेंस रखें – चेक जारी करने से पहले अपने बैंक खाते में पर्याप्त राशि की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

सही हस्ताक्षर करें – हस्ताक्षर की त्रुटि से बचने के लिए अपने सिग्नेचर को वैध रखें।

अस्पष्टता से बचें – चेक पर तारीख, राशि और प्राप्तकर्ता का नाम स्पष्ट और सही ढंग से लिखें।

पोस्ट-डेटेड चेक का ध्यान रखें – यदि आप पोस्ट डेटेड चेक जारी कर रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि वह समय पर क्लियर हो जाए।

बैंक स्टेटमेंट की निगरानी करें – अपने बैंक खाते की नियमित निगरानी करें और सभी चेक लेन-देन का रिकॉर्ड रखें।