Income Tax: इनकम टैक्स बचाने के लिए फटाफट करें ये काम, बचेंगे लाखों रुपये
मार्च का महीना आते ही अक्सर करदाता टैक्स बचाने के लिए कई विकल्प तलाशने लगते हैं, लेकिन कई विकल्पों के साथ-साथ यह जानना भी जरूरी है कि रिटर्न और जरूरत पड़ने पर तुरंत नकदी मुहैया कराने के मामले में कौन सी टैक्स सेविंग स्कीम बेहतर है।
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत शामिल टैक्स सेविंग विकल्पों में से 'इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम' (ईएलएसएस) काफी बेहतर विकल्प है।
टैक्स एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि टैक्स का बोझ कम करने के लिए व्यक्ति को धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये बचाने के अलावा धारा 80डी (स्वास्थ्य बीमा) और धारा 80सीसीडी के तहत एनपीएस का भी लाभ उठाना चाहिए।
यह है बेहतर विकल्प
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में 50,000 रुपये के योगदान पर अतिरिक्त टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। एनपीएस, ईएलएसएस, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) और जीवन बीमा पॉलिसी (एलआईसी) जैसी विभिन्न कर बचत योजनाओं में से बेहतर विकल्प के बारे में पूछे जाने पर आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के उपाध्यक्ष चिंतक शाह ने कहा कि अगर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर लाभ का दावा करने की बात आती है, तो मेरी पसंद इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) है।
शाह ने कहा कि इसके 2 मुख्य कारण हैं: पहला, ईएलएसएस निवेश सीधे शेयर बाजारों से जुड़ा हुआ है और ऐतिहासिक रूप से इसने प्रति वर्ष लगभग 11 से 12 प्रतिशत का दीर्घकालिक रिटर्न दिया है। दूसरा, ईएलएसएस के तहत ‘लॉक इन पीरियड’ केवल तीन साल का है। इसका मतलब है कि आप तीन साल बाद अपना पैसा निकाल सकते हैं।
ईएलएसएस क्यों है आकर्षक विकल्प?
उन्होंने कहा कि यह सुविधा निवेशकों को उपभोग की जरूरतों के लिए अपनी निवेश राशि निकालने या धारा 80सी के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए नए ईएलएसएस में इसे फिर से निवेश करने की अनुमति देती है। इस प्रकार, धन सृजन और कर दक्षता क्षमता का यह संयोजन ईएलएसएस को एक आकर्षक विकल्प बनाता है।
कंसल्टेंसी फर्म टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी के पार्टनर विवेक जालान ने कहा, "निवेश विकल्प का चुनाव व्यक्ति की जोखिम लेने की क्षमता, जरूरत और लक्ष्य पर निर्भर करता है।
एनएससी, पीपीएफ जैसे उत्पादों पर ब्याज तय है और सरकार हर तीन महीने में इसकी घोषणा करती है, जबकि ईएलएसएस जैसे उत्पादों पर रिटर्न तय नहीं है और उनका प्रदर्शन बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है।
किस योजना में कितना लाभ
गौरतलब है कि 80सी के तहत निवेश और बचत उत्पादों में ईएलएसएस, पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड), सुकन्या समृद्धि योजना, एनएससी, जीवन बीमा आदि शामिल हैं। वहीं, एनपीएस धारा 80सीसीडी के तहत आता है।
पीपीएफ का लॉक-इन पीरियड 15 साल का है, जबकि एनएससी का लॉक-इन पीरियड पांच साल का है। वहीं, सुकन्या समृद्धि योजना में लॉक-इन पीरियड लड़की के 18 साल के होने तक है और एलआईसी में लॉक-इन पीरियड मैच्योरिटी पीरियड तक है।
अगर ब्याज और रिटर्न की बात करें तो पीपीएफ पर यह अभी 7.1% और एनएससी पर 7.70% है। सुकन्या समृद्धि योजना के लिए यह 8.2% है और एलआईसी के मामले में यह करीब पांच से छह% है।
इन NPS से पा सकते हैं अतिरिक्त टैक्स छूट
धारा 80C के अलावा अन्य टैक्स बचत उपायों के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा, "करदाता धारा 80CCD (1B) के तहत NPS में 50,000 रुपये का योगदान करके अतिरिक्त टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इससे उनकी कर योग्य आय और कम हो जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि NPS में निवेश लंबी अवधि के लिए है, लेकिन इसमें पूरी तरह से लिक्विडिटी का अभाव है। इसलिए, व्यक्तियों को इसे अपनाने से पहले इस विकल्प का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए।
इस बारे में जालान ने कहा कि NPS में निवेश करने से व्यक्ति को 50,000 रुपये तक का अतिरिक्त टैक्स बचाने में मदद मिलती है। यह नई और पुरानी कर प्रणाली के तहत करदाताओं, कर्मचारियों और स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों के लिए अग्रणी कर बचत योजनाओं में से एक है।