किराये पर मकान लेने वालों के लिए जरूरी खबर, किराएदार जान लें अपने कानूनी अधिकार

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आज के दौर में नौकरी (job) या व्यापार (business) के लिए अपने घर से दूर रहना आम बात हो गई है। लोग दूसरे शहरों में जाकर मकान किराये पर लेते हैं लेकिन अक्सर किरायेदार (tenant) और मकान मालिक (landlord) कानूनी नियमों (rules) से अनजान रहते हैं। किराए पर रहना और मकान देना केवल आपसी समझौते पर निर्भर करता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकान मालिक एक साल में कितना किराया (house rent) बढ़ा सकता है? क्या किराएदार बिना किसी पूर्व सूचना के किराया वृद्धि को मानने के लिए बाध्य है? इन सवालों के जवाब कानून में स्पष्ट रूप से दिए गए हैं जिन्हें जानना हर किराएदार और मकान मालिक के लिए जरूरी है।

क्या होता है रेंट एग्रीमेंट?

अक्सर लोग बिना किसी लिखित समझौते के किराये पर मकान ले लेते हैं जो आगे चलकर विवाद की वजह बन सकता है। रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें किराये की राशि, भुगतान की शर्तें, मकान मालिक और किराएदार की जिम्मेदारियां स्पष्ट होती हैं। यह एग्रीमेंट 11 महीने (11-month rent agreement) का बनवाना सबसे ज्यादा प्रचलित है क्योंकि इससे कानूनी औपचारिकताओं में आसानी होती है और मकान मालिक को अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता।

रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 (registration act 1908) के तहत, अगर रेंट एग्रीमेंट 12 महीने से अधिक का होता है तो उसे सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर कराना जरूरी होता है। इस प्रक्रिया में समय और पैसा ज्यादा लगता है इसलिए लोग 11 महीने का ही एग्रीमेंट बनवाते हैं और इसे हर साल रिन्यू (renew) कराते रहते हैं।

मकान मालिक के अधिकार

रेंट एग्रीमेंट में मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकार और जिम्मेदारियों का उल्लेख होता है। मकान मालिक की जिम्मेदारी है कि वह किराएदार को मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, और सुरक्षा उपलब्ध कराए। वहीं, किराएदार को भी समय पर किराया (rent) चुकाना और मकान का सही तरीके से इस्तेमाल करना जरूरी होता है।

अगर मकान मालिक किराएदार को किसी प्रकार की सुविधा में कटौती करता है तो किराएदार कानून के तहत शिकायत कर सकता है। इसी तरह, अगर किराएदार तय समय पर किराया नहीं देता, तो मकान मालिक उसे मकान खाली करने का नोटिस (notice) दे सकता है।

क्या मकान मालिक कभी भी किराया बढ़ा सकता है?

कई बार किराएदारों को शिकायत रहती है कि मकान मालिक जब चाहे, जितना चाहे किराया बढ़ा देता है। लेकिन क्या यह कानूनी रूप से सही है? बिल्कुल नहीं! किराया बढ़ाने के लिए भी नियम तय हैं।

महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट 1999 (Rent Control Act 1999) के अनुसार, मकान मालिक हर साल अधिकतम 4% तक किराया बढ़ा सकता है। हालांकि, अगर मकान में कोई नई सुविधाएं जोड़ी जाती हैं जैसे सीसीटीवी (CCTV), सुरक्षा गार्ड, या पार्किंग (parking) की सुविधा, तो उस स्थिति में किराया अधिकतम 25% तक बढ़ाया जा सकता है।

हर राज्य के रेंट कंट्रोल कानून (rent control law) अलग-अलग होते हैं इसलिए किराएदार को अपने राज्य के नियमों की जांच करनी चाहिए। अगर किराया बढ़ाने को लेकर कोई विवाद होता है तो किराएदार रेंट कंट्रोल बोर्ड (Rent Control Board) में शिकायत दर्ज कर सकता है।

11 महीने के रेंट एग्रीमेंट के फायदे

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट (11-month rent agreement) मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए फायदेमंद होता है।

कानूनी झंझट कम: 12 महीने से अधिक के एग्रीमेंट को रजिस्टर (register) कराना जरूरी होता है जिससे अतिरिक्त खर्च और कागजी कार्यवाही बढ़ जाती है।
रिन्यू करने में आसानी: हर 11 महीने बाद किराया पुनः निर्धारित किया जा सकता है जिससे किराएदार और मकान मालिक दोनों के बीच पारदर्शिता बनी रहती है।
मकान मालिक को सुरक्षा: 11 महीने का एग्रीमेंट खत्म होने के बाद मकान मालिक आसानी से किराएदार बदल सकता है और किराया बढ़ा सकता है।

5 साल का रेंट एग्रीमेंट बनवाने के नियम

अगर कोई किराएदार लंबे समय तक एक ही जगह रहना चाहता है तो वह 5 साल तक का रेंट एग्रीमेंट (5-year rent agreement) बनवा सकता है। लेकिन इस स्थिति में एग्रीमेंट को रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर कराना अनिवार्य होता है।

5 साल के एग्रीमेंट के दौरान मकान मालिक बिना ठोस कारण के किराएदार को घर खाली करने के लिए नहीं कह सकता। हालांकि, अगर मकान मालिक को प्रॉपर्टी बेचनी होती है या खुद रहना होता है तो वह एक महीने का नोटिस देकर किराएदार को घर खाली करने के लिए कह सकता है।

क्या बिना एग्रीमेंट के किराये पर रहना सही है?

कई लोग बिना रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) के ही मकान किराये पर ले लेते हैं। यह पूरी तरह गलत है और इससे कानूनी जोखिम बढ़ जाते हैं।

किराएदार की सुरक्षा नहीं होती: बिना एग्रीमेंट के मकान मालिक किसी भी समय किराया बढ़ा सकता है या घर खाली करने के लिए कह सकता है।
मकान मालिक को नुकसान हो सकता है: अगर किराएदार समय पर किराया नहीं देता, तो बिना लिखित समझौते के उसे कानूनी रूप से हटाना मुश्किल हो जाता है।
विवाद की संभावना बढ़ जाती है: कई बार बिना एग्रीमेंट के रहने वाले किराएदारों और मकान मालिकों के बीच विवाद हो जाता है जिससे कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।

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