इनेलो भी बसपा के साथ मिलकर वापसी नहीं कर सकी। इनेलो के प्रधान महासचिव व 5 बार के विधायक अभय चौटाला को कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल ने करारी शिकस्त दी।
हालांकि उनके बेटे अर्जुन चौटाला ने रानियां और डबवाली से उनके चचेरे भाई आदित्य चौटाला ने जीत दर्ज की है। इनेलो 2019 के चुनाव में जजपा की तरफ गए मतदाताओं को वापस लाने में विफल रही है। बसपा के साथ मिलकर दलित मतदाताओं को साधने का दांव भी फेल हो गया।
बसपा ने 36 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ एक सीट अटेली पर टक्कर दे पाई। 2019 विधानसभा चुनाव में 2.44 प्रतिशत वोट लेने वाली इनेलो के सामने अपना चुनाव चिह्न बचाने के लिए चुनाव आयोग के नियमों के तहत कम से कम 6 प्रतिशत वोट या दो सीटों पर जीत हासिल करना जरूरी था।
इस बार पार्टी को 4.22 फीसदी वोट मिले हैं। बसपा ने 2019 में 4.16 वोट हासिल किए थे। बसपा को इस बार 1.82 प्रतिशत वोट मिले हैं। एलनाबाद से अभय करीब 15 हजार से हार गए जबकि फतेहाबाद से सुनैना को केवल 9681 वोट मिले। उनकी जमानत जब्त हो गई।
हार के प्रमुख फैक्टर
– इनेलो से टूटकर जजपा का अलग चुनाव लड़ने से वोट बैंक का बिखराव।
– बुजुर्ग होने के नाते पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चाैटाला का ज्यादा प्रचार व रैलियों में शामिल नहीं होना।
– भाजपा-कांग्रेस के देरी से उम्मीदवार घोषित करने पर मजबूत प्रत्याशियों का नहीं मिलना।
– बसपा का साथ पाकर भी दलित मतदाताओं को नहीं साध पाए।