Haryana News:पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए हरियाणा में उन सैकड़ों कच्चे कर्मचारियों के नियमितीकरण का रास्ता साफ कर दिया है, जो 2003 में ओमप्रकाश चौटाला सरकार में लाई गई नीति के तहत स्थायी होने के पात्र थे। आदेश दिया गया कि यदि राज्य किसी व्यक्ति को उसी पद पर नियुक्त करने का निर्णय लेता है जहां वह दो दशकों से नियुक्त था, तो यह नहीं कहा जा सकता कि उसके लिए कोई नियमित कार्य नहीं था।
यमुनानगर निवासी ओम प्रकाश व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें नियमित करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया कि वे दो दशक से अधिक समय से राज्य में सेवा दे रहे हैं, लेकिन 2003 की नीति के बावजूद उनकी सेवाओं को नियमित नहीं किया गया। उनके कई सहकर्मियों और कई कनिष्ठों की सेवाएँ नियमित कर दी गईं, लेकिन याचिकाकर्ताओं को कोई लाभ नहीं मिला। याचिका का विरोध करते हुए हरियाणा सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को स्वीकृत पदों पर नियुक्त नहीं किया गया और आज भी वे स्वीकृत पदों पर काम नहीं कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में उनकी सेवा नियमित नहीं की जा सकती.
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कोई नीति जारी की है तो उसे हर कर्मचारी पर लागू किया जाना चाहिए. कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को उनके कनिष्ठों को नियमित करने की तिथि से नियमित करने का आदेश दिया है। नियमितीकरण की स्थिति में वित्तीय लाभ उनकी ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद ही मिलेगा।
संविधान में राज्य को कल्याणकारी राज्य कहा गया है और ऐसे में अगर कोई कर्मचारी एक दशक से अधिक समय तक राज्य को अपनी सेवा देता है तो उसे नियमित करने के लिए पद सृजित करना सरकार की जिम्मेदारी है. राज्य को उन्हें नियमित करने का प्रयास करना चाहिए न कि उनकी सेवाओं को नियमित करने के रास्ते में बाधाएं डालनी चाहिए।
हाईकोर्ट के इस फैसले से देर से ही सही लेकिन सैकड़ों कच्चे कर्मचारियों को न्याय मिल गया है. अब हम चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को लागू करे और जो कच्चे कर्मचारी इस फैसले के दायरे से बाहर रह गए हैं और 10 से 15 साल से सरकार की सेवा कर रहे हैं, उन्हें भी जल्द पक्का किया जाए।