HSSC: ग्रुप C और D को लेकर बड़ी खबर! अब होगा 60 हजार पदों की भर्ती का मामला साफ

HSSC Haryana News: हरियाणा सरकार के ग्रुप सी और डी के करीब 60 हजार पदों पर भर्ती मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के बाद एचएसएससी तीन विकल्पों पर विचार कर रहा है। इन विकल्पों में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करना, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करना और हाईकोर्ट के फैसले को लागू करना शामिल है। आयोग के चेयरमैन हिम्मत सिंह कानूनी टीम के साथ फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। सरकार भी अपने स्तर पर अध्ययन कर रही है।

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आयोग के फैसले पर टिकी निगाहें

हालांकि, शुरुआत में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की घोषणा की थी, लेकिन कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए अभी अंतिम फैसला होना बाकी है। लाखों बेरोजगार युवा आयोग के अगले फैसले का इंतजार कर रहे हैं। अभ्यर्थी दो तरह के समूहों में बंटे हुए हैं। एक गुट चाहता है कि हाईकोर्ट के फैसले को तुरंत लागू किया जाए और बाकी पदों का रिजल्ट घोषित किया जाए, जबकि दूसरा गुट सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सामाजिक-आर्थिक मापदंड के अंकों को बचाना चाहता है, ताकि गरीब परिवारों के अभ्यर्थियों को इसका लाभ मिल सके।

अगले 3 महीने में हो सकती है भर्ती

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अगर हाईकोर्ट के फैसले को लागू किया जाता है, तो आने वाले 3 महीने में करीब 45,000 पदों पर भर्ती हो सकती है। ग्रुप सी के करीब 32,000 पदों में से करीब 12,000 पदों का रिजल्ट आ चुका है। इसी आधार पर टीजीटी के 7,575 पदों का रिजल्ट भी जारी हो सकता है। ग्रुप डी के करीब 11,000 पदों का रिजल्ट आ चुका है, इसमें करीब 3,000 पदों का रिजल्ट पेंडिंग है, जबकि 3,000 चयनित अभ्यर्थी ग्रुप सी में शामिल हो चुके हैं। ग्रुप डी के करीब 4,000 और पद खाली हैं, जिन्हें सरकार आयोग को भेज सकती है।

हो सकती है नई पुलिस भर्ती

चूंकि ग्रुप डी भर्ती के लिए सीईटी पहले ही हो चुकी है, इसलिए ग्रुप डी के बचे हुए 10 हजार पदों पर भर्ती इसी सीईटी के आधार पर हो सकती है। इसी तरह पुलिस कांस्टेबल के करीब 6500 पदों के लिए विज्ञापन पहले ही जारी हो चुका है। अगर हाईकोर्ट के फैसले पर अमल होता है तो इन पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया अगले तीन महीने में पूरी हो सकती है। सरकार ग्रुप सी के करीब 10 हजार पदों के लिए आयोग को अनुरोध भी भेज सकती है। इस तरह करीब 45 हजार पदों पर नियुक्तियां हो सकती हैं। जिन ग्रुप के पेपर पहले ही हो चुके हैं, उनके नतीजे सामाजिक-आर्थिक मापदंड के अंकों के बिना जारी किए गए हैं, इसलिए उनका रिजल्ट सुरक्षित रह सकता है।

ग्रुप 1 और 2 की परीक्षा को बचाने की तैयारी

इसके लिए हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करनी होगी और तथ्य पेश करने होंगे। ग्रुप 1 और 2 के कुछ अभ्यर्थियों का कहना है कि इस पेपर को इसलिए भी बचाया जा सकता है क्योंकि शॉर्टलिस्टिंग के दौरान सामाजिक-आर्थिक मापदंड के अंकों के साथ और बिना अंकों के अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। यदि निर्णय को लागू करना है तो यह उन अभ्यर्थियों में से हो सकता है, जिन्हें सीईटी अंकों के आधार पर खारिज किया गया था। ग्रुप नंबर 56, 57 का पेपर दोबारा लेना अनिवार्य होगा, क्योंकि खारिज करने का आधार सीईटी अंक था, न कि सीईटी अंक।

अभी तक अंतिम निर्णय नहीं

अभी तक आयोग और सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन सबसे अधिक संभावना हाईकोर्ट के निर्णय को लागू करने और परिणाम जारी करने की है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में अवकाश है। यदि सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की जाती है और सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक लगाता है, तो आयोग शेष पदों का परिणाम जारी कर सकता है। यदि यह रोक नहीं दी जाती है, तो आयोग हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार परिणाम घोषित कर सकता है। यदि हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाती है, तो उस पर भी अवकाश के तुरंत बाद सुनवाई हो सकती है।

आयोग यह जानकारी दे सकता है कि अब तक जो भी परिणाम घोषित किया गया है, वह सामाजिक-आर्थिक मापदंड के अंकों के बिना जारी किया गया है। अगर हाईकोर्ट के फैसले में यह तथ्य दर्ज है तो भी आयोग सामाजिक-आर्थिक मापदंड के बिना भी रिजल्ट जारी कर सकता है। ऐसे में सरकार और आयोग तीनों विकल्पों में से कौन सा विकल्प चुनना है, इस पर अपना फैसला लेंगे। इस फैसले पर राज्य के सभी बेरोजगार युवाओं की नजर है।

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