उत्तर प्रदेश के मेरठ में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां छह साल तक एक टीचर स्कूल नहीं आई और इसके बाद भी उन्हें हर महीने सैलरी मिलती रही। जिसके बाद एक टीचर और प्रिसिंपल को मेरठ की बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी ने सस्पेंड कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक, यह पूरा मामला मेरठ के परीक्षितगढ़ का है। यहां एक प्राथमिक विद्यालय है। बताया जा रहा है कि यहां एक टीचर ने नियुक्ति के बाद स्कूल आना ही बंद कर दिया थी। वह बहाली के बाद 2920 दिन में टीचर केवल 759 दिन ही स्कूल आई थी। बाकी के दिनों में वो स्कूल में पढ़ाने ही नहीं आई। इसके बाद भी टीचर के अकाउंट में लगातार सैलरी क्रेडिट होती रही। वहीं जब चेकिंग की गई तो पता चला कि टीचर की अटेंडेंस लगातार बनती जा रही थी। ये ही वजह थी उसकी सैलरी अकाउंट में आ रही थी।
जांच होने पर सामने आई सच्चाई
खबरों की मानें, तो अध्यापिका सुजाता यादव पिछले छह साल से स्कूल ही नहीं आई थी। उनके कक्षा न लेने की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। जब टीचर की बार-बार छुट्टी के एप्लिकेशन अप्प्रूव हुए, तो यह मामला आलाधिकारियों के संज्ञान में आया। वहीं जब टीचर की अटेंडेंस रजिस्टर जांची गई तो पता चला कि स्कूल ना आने के बाद भी उसकी पूरी हाजरी लगी हुई। इसके बाद इस मामले में एक जांच कमिटी का गठन किया गया और टीचर को सस्पेंड कर दिया गया। वहीं टीचर के साथ ही साथ स्कूल के प्रिंसिपल धर्म सिंह पर भी कार्रवाई हुई है। उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया है।
जांच में पता चला कि महिला टीचर सुजाता यादव की अटेंडेंस प्रिंसिपल साहब ही लगा रहे थे। हेडमास्टर को सब कुछ पता होते हुए भी उन्होंने विभाग से सच्चाई छिपाई। जिसके बाद दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है।