Success Story: हरियाणा के एक गांव की इस महिला ने गायों के साथ शुरू किया ये काम, आज सालाना कमाती हैं करोड़ों रुपए
Haryana: रेणु सांगवान और उनके बेटे डॉ. विनय सांगवान की यह कहानी प्रेरणा का अद्भुत उदाहरण है। झज्जर जिले के खरमाण गांव से शुरू हुए इस सफर में उन्होंने दिखाया कि देसी तकनीकों और मेहनत के साथ भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
"गोकुल फार्म श्रीकृष्ण गोधाम" की स्थापना में उनकी दृष्टि और समर्पण ने एक आदर्श मॉडल तैयार किया है। इस डेयरी फार्म में आधुनिक और पारंपरिक तरीकों का मिश्रण किया गया है, जिससे गायों की देखभाल, दूध उत्पादन, और बाजार प्रबंधन को कुशलता से संभाला जा रहा है।
रेणु सांगवान का यह सफर ग्रामीण भारत में स्वरोजगार और कृषि आधारित उद्यमों को प्रोत्साहन देने के लिए एक मिसाल है। उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सही दृष्टिकोण और मेहनत से ग्रामीण क्षेत्रों में भी आर्थिक क्रांति लाई जा सकती है।
रेणु सांगवान और उनके बेटे का "गोकुल फार्म श्रीकृष्ण गोधाम" न केवल एक सफल व्यवसाय है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया है। उनके फार्म की खासियत यह है कि यहां देसी नस्लों की गायों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे शुद्ध और पोषक दूध का उत्पादन होता है।
उनकी सफलता के मुख्य पहलू
1. देसी नस्लों का संरक्षण: फार्म में मुख्य रूप से गिर, साहिवाल और हरियाणवी नस्ल की गायें हैं, जिन्हें उच्च गुणवत्ता वाले दूध के लिए जाना जाता है। इससे न केवल दूध उत्पादन बढ़ा है, बल्कि भारतीय नस्लों के संरक्षण में भी योगदान हो रहा है।
2. संपूर्ण उपयोग: गायों के गोबर और मूत्र का इस्तेमाल जैविक खाद और गोबर गैस प्लांट में किया जाता है। इससे फार्म पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना है और पर्यावरण के अनुकूल भी।
3. स्वस्थ उत्पाद: यहां से मिलने वाले दूध और उससे बने उत्पाद, जैसे घी, दही और पनीर, पूरी तरह शुद्ध और रसायनमुक्त होते हैं। इससे शहरी क्षेत्रों में इनकी बड़ी मांग है।
4. आधुनिक तकनीक का उपयोग: फार्म पर गायों की देखभाल के लिए ऑटोमैटिक मिल्किंग मशीन और अन्य आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। इसके साथ ही, डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके उत्पादों को मार्केट तक पहुंचाया जाता है।
सामाजिक योगदान
रेणु सांगवान ने इस फार्म के जरिए न केवल खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि गांव की कई महिलाओं और युवाओं को रोजगार का अवसर भी प्रदान किया। उन्होंने स्थानीय किसानों को भी डेयरी और जैविक खेती के फायदे सिखाए।
भविष्य की योजना
रेणु सांगवान और उनका परिवार अब अपने फार्म को और विस्तार देने की योजना बना रहा है। वे देश के अन्य हिस्सों में अपनी उत्पादों की आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर सही दृष्टिकोण और मेहनत हो, तो देसी जड़ें हमें आर्थिक और सामाजिक दोनों क्षेत्रों में सशक्त बना सकती हैं।