हकृवि ने गन्ना की नई किस्में किसानों तक पहुंचाने के लिए शुगर मिल के साथ किया समझौता

हरियाणा न्यूज

चंडीगढ़ , 25 जुलाई – हरियाणा के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा विकसित की गई नई किस्में सीओएच 188, सीओएच 176 और सीओएच 179 राज्य में भविष्य में गन्ने की खेती का नेतृत्व करेंगी।

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हकृवि की किस्में सीओएच 56 और सीओएच 119 अपने समय में बहुत लोकप्रिय रही हैं, जबकि सीओएच 160 हरियाणा ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी लोकप्रिय है। इन किस्मों ने गन्ने की खेती में क्रान्ति ला दी है।

ये विचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने मैसर्स सरस्वती शुगर मिल्स लिमिटेड, यमुनानगर के साथ एक समझौता ज्ञापन के दौरान व्यक्त किए।

कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज व शुगर मिल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसके सचदेवा की उपस्थिति में इस एमओयू पर हकृवि की ओर से मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. अतुल ढींगड़ा व उपरोक्त मिल्स की ओर से वरिष्ठ उपाध्यक्ष डीपी सिंह ने हस्ताक्षर किए।

कुलपति प्रो. काम्बोज ने बताया कि गन्ना भारत और हरियाणा की एक बहुत ही महत्वपूर्ण नकदी फसल है। भारत में गन्ना 5.17 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है, जिसका उत्पादन 439.4 मिलियन टन और उत्पादकता 849 क्विंटल/हेक्टेयर है।

हरियाणा में यह फसल 1.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है, जिसका उत्पादन 88.82 लाख टन और उत्पादकता 819 क्विंटल/हेक्टेयर है। यह फसल किसानों की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और चीनी उद्योग को कच्चा माल उपलब्ध कराकर राष्ट्रीय और राज्य की अर्थव्यवस्था में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यह फसल और चीनी उद्योग उभरते परिदृश्य में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि गन्ना पेट्रोल में मिश्रण के लिए इथेनॉल उत्पादन के लिए मुख्य फसल होगी।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का प्रयास है कि हरियाणा के किसानों को गन्ने की नई किस्मों के तेजी से विकास, गुणन और वितरण के लिए चीनी मिलों के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी विकसित की जाए। नई गन्ना किस्मों को जारी करने में मिल परीक्षण भी एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है।

शुगर मिल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसके सचदेवा ले बताया कि गन्ने की खेती करने वाले किसान, इस फसल को संसाधित करने वाली चीनी मिलें और सरकार अनुकूल नीतिगत सहायता प्रदान करती है। हरियाणा राज्य में 14 चीनी मिलें हैं।

चीनी मिलें चीनी, इथेनॉल और बिजली बनाने के लिए गन्ने को संसाधित करती हैं। मैसर्स सरस्वती शुगर मिल्स लिमिटेड देश की सबसे बड़ी चीनी मिलों में से एक है, जिसकी पेराई क्षमता अधिक है। यह समझौता ज्ञापन अनुसंधान संस्थानों और चीनी उद्योग के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।

Avi Dulgach

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