Haryana Budget 2025: हरियाणा में किसानों की हुई बल्ले बल्ले, बजट में हुई ये नई घोषणाएं
Haryana Budget: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों के हित में अनेक नई घोषणाएं करके उनकी बल्ले -बल्ले कर दी है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ,जो वित्त मंत्री भी हैं, ने कृषि एवं किसानों से जुड़े अन्य विभागों के लिए बजट में काफी वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा है।
इनमें कृषि विभाग के बजट में 19.2 प्रतिशत, बागवानी में 95.50 प्रतिशत, पशुपालन में 50.9 प्रतिशत तथा मत्स्य पालन विभाग में 144.40 प्रतिशत बजट बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। वित्त मंत्री द्वारा अब कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का बजट बढ़कर 4229.29 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया गया है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है कृषि
मुख्यमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि कृषि व उससे जुड़ी गतिविधियाँ हमारे छोटे से प्रदेश की अर्थव्यवस्था की मजबूत रीढ़ की हड्डी हैं और हमेशा रहेंगी। हर किसान की खेती में लागत कम करना, उसकी फसलों की पैदावार को हर वर्ष बढ़ाते रहना, हर फसल को एमएसपी पर खरीद की गारंटी देना, उसके खेत की मिट्टी की सेहत अच्छी रखना, उसके खेत में पानी की हर बूंद से अधिक से अधिक उपज लेना, उसे अच्छे बीज, खाद और कीटनाशक उपलब्ध करवाना, उसकी रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करना, प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देना और उसकी आय को लगातार बढ़ते रहना ही प्रदेश सरकार की पिछले 10 वर्षों की तरह इस वर्ष भी परम प्राथमिकताएं रहेगी।
उन्होंने कहा कि गत 9 जनवरी को हिसार कृषि विश्वविद्यालय के प्रांगण में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन और सहकारिता से जुड़े सैकड़ों किसानों तथा कृषक उत्पादक संगठनों से लोगों के साथ लगभग 5 घंटे चले विचार-विमर्श में 161 सुझाव मिले थे।
मुख्यमंत्री ने खुशी जताई कि इस विचार-विमर्श के दौरान हर वक्ता ने "मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल", ई-खरीद पोर्टल, "मेरा पानी मेरी विरासत", "भावान्तर भरपाई योजना", फसल अवशेष प्रबन्धन प्रोत्साहन और प्राकृतिक खेती जैसी अनेक योजनाओं की प्रशंसा की थी तथा इन सभी नवाचारों को आगे बढाने का आग्रह भी किया गया था।
बैठक के सभी सुझावों को किया गया बजट में शामिल
मुख्यमंत्री ने बताया कि उस बैठक के प्रायः सभी सुझावों को इस बजट में किसी न किसी रूप में शामिल करने का पूरा प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने किसानों से मिले 6 नीतिगत सुझावों का वर्णन भी किया। उन्होंने बताया कि नकली बीज व कीटनाशक बेचने वाले असामाजिक तत्वों के चंगुल से किसानों को बचाने के लिए सदन के इसी सत्र में एक बिल लाया जाएगा।
उन्होंने आगे बताया कि शीघ्र ही एक नई बागवानी नीति बनाई जाएगी जिसके तहत मूल्य संर्वधन, भण्डारण, प्रोद्यौगिकी, मार्केटिंग आदि के द्वारा प्राकृतिक व जैविक बागवानी को दोनों प्रकार के एफपीओ के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो कृषक उत्पादक संगठन अर्थात् एफपीओ एक कम्पनी के रूप में पंजीकृत है, उन्हें तो सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, परंतु जो कृषक उत्पादक संगठन एक सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत है, वे इन योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते है। इस बागवानी नीति से यह अंतर समाप्त हो जाएगा।